Positive Story : बुजुर्ग के प्रयास से हिरण के नवजात बच्चे को सूरक्षित बचाया गया
बिश्नोई धर्म के अनुयायी आज भी गुरु जाम्भोजी के परम संदेश "जीव दया पालनी, रूंख लीलो नी घावे" का अनुसरण उतनी ही श्रद्धा से करते हैं जितनी श्रद्धा धर्म स्थापना के समय थी। वन एवं वन्य जीवों का संरक्षण बिश्नोइयों की मनोवृति से जुड़ा हुआ विषय है।
जीवों के प्रति दया के भाव एक अनुपम उदाहरण विगत दिनों धोरीमन्ना के निकटवर्ती ग्राम नेहडी नाड़ी में देखने को मिला।
नेहडी नाड़ी में पिछले दिनों जंगली कुत्तों के द्वारा एक मादा हिरणी को नोच लिया गया हिरणी की चीख सुनकर पास में कार्य कर रहे एक बुजुर्ग ने कुत्तों से छुड़वाने का प्रयास किया। कुत्तों ने हिरणी को जगह-जगह से नोचा लिया था जिस कारण कुछ ही समय में हिरनी ने अपने प्राण त्याग दिए। मादा हिरणी एक नवजात शावक भी था जिसे बुजुर्ग व्यक्ति ने सुरक्षित रेस्क्यू किया।
घटना की जानकारी मिलने पर मौके पर प्रवीण धारणिया पीटीआई सांकड़ व प्रवीण गोदारा सुधा बेरी पहुंचे। इन्होंने हिरणी का अंतिम संस्कार किया। हिरण के नवजात बच्चे को दूध पिलाया और उसे नजदीकी वन्यजीव अभयारण्य में सुरक्षित पहुंचाया।
दोस्तों बुजुर्ग के प्रयास से हिरणी तो नहीं बचपाई परंतु उनका प्रयास निष्फल भी नहीं गया। हिरणी के नवजात बच्चे को सुरक्षित बचा लिया। बिश्नोई न्यूज़ परिवार ऐसे जांभाणी सेवक को दिल से सेल्यूट करता हूं। और प्रवीण धारणिया व गोदारा को धन्यवाद ज्ञापित करता हैै। जिन्होंने तत्परता दिखाते हुए नवजात हिरण को वन्य जीव अभ्यारण में सुरक्षित पहुंचाया।
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