भव्य बिश्नोई व मेहरीन पीरजादा की शादी को लेकर विश्नोई समाज में भारी रोष

  भव्य बिश्नोई व मेहरीन पीरजादा की शादी को लेकर विश्नोई समाज में भारी रोष



जैसे ही 13 मार्च को बिश्नोई महासभा के संरक्षक बिश्नोई रत्न कुलदीप बिश्नोई के पुत्र भव्य बिश्नोईमेहरीन पीरजादा की सगाई जयपुर में होना नियत हुई तबसे बिश्नोई समाज के सभी लोगों में इसका विरोध कहीं दबी जबान में तो कहीं मुखर आवाज में देखने को मिल रहा है।

 विरोध हो भी क्यों न जब जांभाणी संस्कृति व सभ्यता जिसमें वन व वन्य जीवों को बचाने के लिए अनेक बिश्नोई बंधुओं ने समय-समय पर प्राणाहुति देकर गुरु जांभोजी के परम संदेश "जीव दया पालनी,  रूंख लीलो नी घावे" को सार्थक किया है। वहीं बिश्नोई समुदाय अपनी स्थापना से लेकर वर्तमान तक 29 नियम की आचार संहिता में से एक नियम जीव जंतुओं पर दया का भाव रखनामांस से दूरी बनाए रखना पर अडिग है। बिश्नोई जन्मजात जीवों के हितेषी होते हैं। बिश्नोईयों के अहिंसावादी व जीव हितैषी के बारे में कहा भी गया है

हिंसा हूंता हिंसा फळे निमळ धरम री साख | 

जीव दया हे पालणी, देह हित धरम राख  | |


अब जबकि बिश्नोई समाज के सर्वेसर्वेया महासभा के संरक्षक व अपने आप बिश्नोई रत्न से विभूषित श्रीमान कुलदीप बिश्नोई के पुत्र भव्य बिश्नोई ने फिल्म अभिनेत्री मेहरीन पीरजादा के साथ विवाह के पवित्र बंधन में बंधने का फैसला किया है जो कि जन्मजात मांसाहारी है और इनका परिवार घोषित शिकारी है। जिनके संबंध में आपको इंटरनेट पर बहुत सारे आर्टिकल्स व वीडियोस मिल जाएंगे। 

ऐसी दशा में अहिंसकजीव हितेषी बिश्नोई समुदाय के आम लोगों में विरोध की भावना आना गलत नहीं है। बिश्नोई समाज के सभी वर्गों के लोगों ने चौधरी भजन लाल जी को जीवन पर्यंत सर आंखों पर बिठाए रखा और आज भी आम बिश्नोई के दिल में उनके प्रति इतनी ही श्रद्धा है। 

परंतु आज स्थिति कुछ अलग है‌। संपूर्ण बिश्नोई समाज की सिरमोर संस्था महासभा के संरक्षक होने के नाते कुलदीप बिश्नोई का यह दायित्व बनता है कि वह समाज को राजनैतिक व सामाजिक बुलंदियों पर ले जाएं न कि समाज की सांस्कृतिक विरासत को तहस-नहस कर गर्त की ओर धकेलने का कार्य करें।


कुलदीप बिश्नोई के पुत्र भव्य बिश्नोई के इस फैसले से ही नहीं बल्कि उनके द्वारा फेसबुक पर पोस्ट के माध्यम से बिश्नोई समाज के धर्म और आस्था का केंद्रबिंदु मुक्ति धाम मुकाम के बारे में दिए गए असभ्य वक्तव्य से भी संपूर्ण बिश्नोई समाज खफा है। 


भव्य बिश्नोई ने फेसबुक पर कहा मुक्ति धाम मुकाम में जुआ खेला जाता है। सरेआम नशाखोरी होती है। उनका यह वक्तव्य सही है तो महासभा के संरक्षक को अपनी नाकाबिलियत के आधार पर तुरंत प्रभाव से महासभा से इस्तीफा दे देना चाहिए अगर असत्य है तो महासभा ने अब तक भव्य के खिलाफ कोई कार्यवाही क्यों नहीं की है।


10 फरवरी को मुक्ति धाम मुकाम के पवित्र प्रांगण में राष्ट्रीय बिश्नोई चेतना मंच व बिश्नोई समुदाय के अन्य बहुतेरे संगठनों ने मिलकर भव्य के इस फैसले व बेहूदा वक्तव्य के विरुद्ध धरना प्रदर्शन किया।


बात केवल धरना प्रदर्शन तक ही सीमित नहीं रहेगी अगर महासभा के संरक्षक रहते कुलदीप बिश्नोई व उनका परिवार, बिश्नोई समाज की गौरवमयी संस्कृति पर इस प्रहार करते हैं।


शादी अगर व्यक्तिगत फैसला है तो शादी से पहले भव्य बिश्नोई के पिता कुलदीप बिश्नोई को महासभा के संरक्षक पद को त्यागना होगा इतना ही नहीं अपने आप लिया गया बिश्नोई रत्न भी बिश्नोई समाज को लौटाना होगा।


 - आम बिश्नोई

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