तृतीय चरण में बज्जू पंचायत समिति से जीते 8 बिश्नोई सरपंच

 तृतीय चरण में बज्जू पंचायत समिति से जीते 8 बिश्नोई सरपंच

तृतीय चरण में बज्जू पंचायत समिति से जीते 8 बिश्नोई सरपंच




बिश्नोइज्म, बिकानेर। पंचायतीराज चुनाव 2020 के तृतीय चरण में बिकानेर जिले की बज्जू पंचायत समिति की 28 ग्राम पंचायतों में चुनाव सम्पन्न हुए. चुनाव जीतकर 9 बिश्नोई सरपंच बने. जीत हुई सीटों में 5महिला सीट आरक्षित होने के कारण नवनिर्वाचित 9 सरपंचों में से 5 महिला सरपंच पंचायत मुखिया निर्वाचित होकर विकास की भागीदार  बनेंगी. 

बज्जु पंचायत समिति के ग्राम , रणजीतपुरा, गज्जेवाला, गौडु, फुलासर बड़ा, माणकासर, बज्जू खालसा, मिठड़िया, नगरासर, मोडायत से निर्वाचित हुए बिश्नोई सरपंच.

1. गज्जेवाला से गोकुलराम ने अपने निकटतम प्रतिद्वन्द्वी गंगाविशन को 751 मतों से मात दी. 

 2.गोडू से शारदा बिश्नोई ने अपने निकटतम प्रतिद्वन्द्वी सुमन को 364 मतों से मात दी. हासिल की.

3. फुलासर बड़ा से रामप्यारी बिश्नोई पत्नि गणपतराम बिश्नोई ने अपनी निकटतम प्रतिद्वन्द्वी रमकु को 79 मतों से मात दी.

4. माणकासर से युवाओं के चहेते लोकप्रिय युवा जयसुख राम बिश्नोई ने प्रतिद्वन्द्वी रामजस बिश्नोई को 347 वोट से मात देकर सरपंच पद पर जीत दर्ज की.

5. बज्जू खालसा से मोहनराम बिश्नोई ने अपने निकटतम प्रतिद्वन्द्वी जीवणराम बिश्नोई को 793 वोट से मात देकर सरपंच पद पर जीत दर्ज की.

6. मिठड़िया से सावित्री बिश्नोई ने अपने निकट प्रतिद्वन्द्वी भावना बिश्नोई को 34 वोट से मात देकर सरपंच पद पर जीत दर्ज की.

7. मोडायत से ओमप्रकाश ने अपने निकटतम प्रतिद्वन्द्वी जगमाल राम को 63 वोट से मात देकर सरपंच पद पर जीत दर्ज की.

8. नगरासर से आशा पत्नि सकताराम पुनिया ने अपने निकटतम प्रतिद्वन्द्वी अमकु को 343 वोट से मात देकर सरपंच पद पर जीत दर्ज की.



समाज के प्रतिनिधि बने सरपंच पद उम्मीदवारों ने सामाजिक मान-मर्यादा को किया तार-तार.


ग्राम पंचायत में सरपंच पद की होड़ में प्रत्याशियों ने अपनी जीत के धार्मिक मान्यताओं पर कुठुरघात करने में कोई कसर नहीं छोड़ी. लगभग हर उम्मीदवार के 20 किलो पोस्त रोज खुलती रही. वहीं बात करें मोडायत की तो कोलायत से अखिल भारतीय महासभा प्रतिनिधि ओमप्रकाश खीचड़ ने श्री गुरु जम्भेश्वर मंदिर के चारो और ऐसा किचड़ बिखेरा कि नियम-कायदे उसमें घुलते नजर आए. गुरु जम्भेश्वर मंदिर के पवित्र प्रांगण में खुलेआम दारु, पोस्त की बिन औसत मनुहार होती देखी गई. बिश्नोइयों के धार्मिक ढांचे को ढहाने की ओर यह अग्रिम पंक्ति के लोगों का प्रयास दुर्भाग्यपूर्ण हैं. 



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