Bishnoism.org । आज पृथ्वी दिवस पर अपनी मां से अलग हुए नवजात हिरण को बकरी का दूध पिलाकर दिया मानवता का परिचय
बिश्नोइज्म, बिकानेर। हिरण के बच्चे को परसों सुबह सूरतगढ़ से वन विभाग द्वारा खिराजवाला सेवासंस्थान पर पहुँचाया गया था। ये बच्चा करीबन महीने भर पहले सूरतगढ़ के वन क्षेत्र में खेतों में भेड़ बकरियों को चराते वक्त चरवाहों की भेड़-बकरियों के साथ मिलकर घर पर आ गया था। जिसे थोड़े दिन देखभाल के बाद चरवाहे ने चार दिन पहले वन विभाग को सुपुर्द कर दिया था। वन विभाग ने अगले दिन उसे संस्थान पर पहुँचाया। संस्थान पर लाने के बाद बच्चे को दूध पिलाने तथा चारा खिलाने की कोशिश की गई लेकिन साथ रहने के बावजूद बच्चे ने 2 दिन तक कुछ खाया पिया नहीं। जबरदस्ती दुध-बिस्किट और रोटी खिलाने का प्रयास किया। जो बच्चे ने बहुत थोड़ी मात्रा में खाया बहुत कम मात्रा में आहार मिलने के कारण बच्चा भी भूख व्याकुल होकर सारा दिन इधर उधर भागता रहता था। बच्चे की हालात को देखते हुए वन विभाग से संपर्क कर हिरण पालक से फोन पर बात की और उनसे बच्चे के चारे पानी और नाम आदि के बारे में जानकारी ली। जानकारी से पता चला कि बच्चे द्वारा निप्पल से दूध न पीने के कारण सिर्फ बकरी के थनो से ही दूध पिलाया जाता था। बच्चा भी रोज़ाना एक समय मे 2 या 3 बकरियों का भरपेट दूध पीता था। इसलिए भरपूर मात्रा में दूध मिलने के कारण चारा आदि नही खाता । वहीं बच्चे का नाम भी सेनु रखा गया था। नन्हें की जानकारी के बाद कल शाम हमारे गाँव मे बकरी पालक परिवार हाकम सिंह बावरी के घर पर लेकर गया। यह परिवार संस्थान के वन्यजीवों के बच्चों हेतु बकरी का दूध पिलाने में हरदम सहायता करते आये है। परिवार की बड़ी बिटिया सोनू बड़े अपनत्व से अन्य परिजनों की मदद से खुद नन्हें शावकों को दूध पिलाती है। जब भी कभी ऐसी स्थिति आती कि नवजात निप्पल से दूध नही पीना जानता हो अथवा नवजात की उम्र कम होने के कारण बहुत ही कमजोर अवस्था मे हो या शुरू शुरू में निप्पल के सख्त होने के कारण दूध पीने में अटपटा महसूस करने हुये बच्चा दूध नही पीता है। तो उसे कुछ दिन इसी परिवार द्वारा बकरियों का दूध पिलाकर मदद की जाती है । इनके द्वारा ये कार्य निशुल्क और निस्वार्थ सेवा भाव से किया जाता है। पालक परिवार के घर पहुँचने पर हिरण के बच्चे ने बकरी को देखते ही छलाँग लगाते हुए चारो तरफ घूम घूम कर उसे सूंघा ओर अपने आप ही थनों से दूध पीने लगा। 2 बकरियों का दूध पीकर पेट भरने के बाद स्वतः ही अलग होकर खड़ा हो गया। भरपेट दूध मिलने से नन्हा रात भर चारपाई के नीचे चैन से सोया रहा। आज सुबह भी उसे दोबारा बकरी का दूध पिलाया गया। अब धीरे-धीरे इसे बकरी के दूध की मात्रा कम करते हुए निप्पल से दूध पीने और हरा चारा खाने का अभ्यस्त किया जाएगा।
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