363 शहीदों की स्मृति में वन्यजीवों की सेवा अनुकरणीय, खेजड़ली हो अभ्यारण घोषित - बिश्नोई

363 शहीदों की स्मृति में वन्यजीवों की सेवा अनुकरणीय, खेजड़ली हो अभ्यारण घोषित - बिश्नोई

श्रीमती अमृतादेवी वन्यजीव संरक्षण संस्थान खेजड़ली मैं किरणों के साथ वन्यजीव रक्षक टीम


बिश्नोई न्यूज़ डेस्क जोधपुर । श्री जंभेश्वर पर्यावरण एवं जीवरक्षा प्रदेश संस्था राजस्थान की टीम ने आज निकटवर्ती ग्राम खेजड़ली पहुंचकर शहीदी स्थल पर चल रहे वन्य जीव रेस्क्यू सेंटर का निरीक्षण किया ।

  उक्त सेंटर की संचालक श्रीमती अमृतादेवी वन्यजीव संरक्षण संस्थान खेजड़ली के अध्यक्ष घेवरराम गोदारा, कोषाध्यक्ष रामस्वरूप खावा, महामंत्री श्यामसुंदर गोदारा ने मौके पर उपस्थित होकर संस्था की टीम का स्वागत किया ।

श्री जंभेश्वर पर्यावरण एवं जीवरक्षा प्रदेश संस्था राजस्थान की टीम का खेजड़ली वन्यजीव रेस्क्यू सेंटर में किया स्वागत
श्री जंभेश्वर पर्यावरण एवं जीवरक्षा प्रदेश संस्था राजस्थान की टीम का खेजड़ली वन्यजीव रेस्क्यू सेंटर में किया स्वागत


अर्थ हीरो अवॉर्डी एवं प्रदेश महामंत्री पीराराम धायल ,संस्था के प्रदेश अध्यक्ष रामरतन बिश्नोई ने हिरणों के लिए छाया, पानी, चारा, चिकित्सा, सरंक्षण, स्वस्थ होने के बाद जंगल में छोड़ना व  रेस्क्यू सेंटर के लिए भूमि का विस्तार कराना उसमें सुविधाएं उपलब्ध कराना। हरे चारे की व्यवस्था करना आदि विभिन्न विषयों पर विस्तार से जानकारी ली चर्चा की और मार्गदर्शन दिया ।

 363 शहीदों की स्मृति में वन्यजीवों की सेवा करने का यह कार्य अनुकरणीय कदम है ।

 - रामरतन बिश्नोई


290 वर्ष पहले हुआ था प्रकृति बचाओ आंदोलन

         श्री जंभेश्वर पर्यावरण एवं जीवरक्षा प्रदेश संस्था राजस्थान के प्रदेशाध्यक्ष रामरतन बिश्नोई ने  बताया कि खेजड़ली में आज से 290 वर्ष पहले 84 खेड़ों  के हजारों लोगों ने प्रकृति बचाओ आंदोलन चलाया था। जिसमें वृक्षों की कटाई को रोकते हुए 363 नर-नारी पेड़ों के चिपक कर वीरगति को प्राप्त हो गए थे।


खेजड़ली में बड़ा अभ्यारण घोषित होना जरुरी

खेजड़ली बलिदान में वीरगति को प्राप्त 363 नर-नारी की याद में राज्य सरकार को एक बहुत बड़ा अभ्यारण प्रकृति बचाने और वन्यजीवों को बचाने के लिए खेजड़ली  में घोषित करना चाहिए।

खेजड़ली के सरपंच हापूराम गोदारा ने आश्वासन दिया कि वन्यजीव विचरण के लिए ग्राम पंचायत भूमि उपलब्ध करवाने का प्रयास करेगी । सेवानिवृत्त अध्यापक सुखदेव गोदारा ने भी अपने विचार रखे ।



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