प्रेरक कहानी: कोरोना वारीयर्स बंशी यथार्थ, मर रहे हो तो भी उठने की हिम्मत रखो जिद्दी बनो जिंदा रहो

प्रेरक कहानी: कोरोना वारीयर्स बंशी यथार्थ RAC, मर रहे हो तो भी उठने की हिम्मत रखो जिद्दी बनो जिंदा रहो

प्रेरक कहानी: कोरोना वारीयर्स बंशी यथार्थ RAC, मर रहे हो तो भी उठने की हिम्मत रखो जिद्दी बनो जिंदा रहो


सुबह साढ़े तीन उठी  खाना बनाया नहा-धोकर मेरा टिफिन साथ लिया सुबह पांच बजे ड्यूटी के लिए झोटवाङा से  रवाना होकर  छः बजे पुलिस कन्ट्रोल रूम यादगार  (जयपुर) पहुंची।

 तब तक पुलिस लाइन से अन्य जवान  यादगार पहुंच चुके थे । ड्यूटी का आदेश मिले तब तक सोचा चाय पी लें । चाय पी  आदेश मिला कि आपको यही रिजर्व में रहना है  फिर हमें ग्यारह बजे आदेश मिला कि जाओ तीन बजे ड्यूटी पॉइन्ट पर आ जाना । लगभग 12 बजे घर पहुंच कर टिफिन खोला खाना खाया और कपडे धोने लग गयी । आधे ही कपङे धोये थे कि जोरदार पेट दर्द होने लगा । मैने सोचा आलू की सब्जी खराब कर गयी। बचपन से सुनते आ रहे हैं  आलू की ठण्डी सब्जी से पेट दर्द हो सकता है  ।  पेट दर्द के मामले में बदनाम है आलू की सब्जी। मैं हल्का गर्म पानी पीकर सो गयी  करीब 1. 45 पर ग्रुप में msg देखा ड्यूटी वनस्थली चौराहा लगी है । सही समय पर ड्यूटी पॉइन्ट पर हाजिर हो गयी और  अपनी ड्यूटी करने लगी भयंकर पेट दर्द हो रहा था खङा रहना भी मुश्किल हो रहा था । मैने साथ वाली लङकी को बोला आस-पास चाय का ठेला है तो चाय पीते हैं चाय के बहाने थोङी देर बैठ जाऊंगी मेरे लिए खङा रहना दुःखदायी हो रहा है एक -एक मिनट भारी लग रहा है । चाय के बहाने आधा घंटा बैठकर निकाला  फिर ड्यूटी में जुट गई  पुलिस कॉन्स्टेबल का पेपर था चौराहे पर काफी भीङ थी । कोई नागौर की बस का पूछ रहा था, कोई ट्रांसपोर्ट नगर का ,कोई सिंधी कैम्प का । हैडसाहब बोले इनकी भीङ मत होने दो आगे निकालते रहो इनसे ज्यादा बात मत करो । मैने कहा सर - हम बात नहीं कर रहे ये बस खाकी वर्दी देखकर रास्ता पूछ रहे हैं और हम बता रही हैं ।भूखे-प्यासे परेशान हैं सही रास्ता बताने में क्या दिक्कत है ?  आगे से आगे निकाल कर भीङ कम करने से क्या मतलब ?  यहां लोफ्लोर बस रूकती है थोङी देर भीङ होगी मगर अपने गन्तव्य स्थान की ओर रवाना तो हो जायेंगे।   हैडसाहब मेरे से  बोला आप दोनो लङकियां उस तरफ जाओ सिटी बस रूक रही है उनको रूकने मत दो  कोई ई रिक्शा भी नही रूके । मै चलती-चलती बोल गई ई रिक्शा रूकेंगे तभी तो सवारी  बैठायेंगे भीङ कम होगी । 

हैडसाहब  अपने आप अगले स्टॉप पर चढा लेंगे अपने को अपने पॉइन्ट पर भीङ नही होने देनी ज्यादा दयावान मत बनो । मैने कहा- ज्यादा दयावान नही हूं  बस थोङी सी दया आती है मैं क्या करूं इस दया वाले पुर्जे को कहां फेंक  आऊं ।

 पेट दर्द के साथ-साथ शरीर कांपने लगा ठण्ड लग रही थी सिर में हथोङे से पङने लगे  । पास की दुकान से कुर्सी लेकर बैठ गई थोङी देर बैठी रही भीङ और बढ़ने लगी तो खुद को खुद से ही शर्म महसूस होने लगी कि बैठना ठीक नही हिम्मत करके ड्यूटी करनी है । 

मैं कुर्सी पर जची बैठी  हूं और परीक्षार्थी मेरे पास आकर रास्ता पूछ रहे हैं अच्छा नही लगता आत्मा ने कहा खङी हो जाओ और मैं फिर खङी हो गयी ।  थोङी देर में शरीर फिर जवाब देने लगा ड्यूटी अगले आदेश तक थी तो सोचा पता नही कब तक ड्यूटी करनी पङे मेडिकल स्टोर  से दवाई ले आती हूं दर्द ठीक होने की । पास ही मेडिकल था  मेडिकल वाले ने जो गोळी दी वह फटाफट गटक गयी कौनसी गोळी है नाम भी नही देखा ।  8.30 हो गए थे मैं हैडसाहब को बोली सर मेरी तबीयत बहुत खराब है मैं कांप रही हूं  आंखो में पानी बह रहा है नाक बेपूछ ही चल रही है । हैडसाहब बोले अभी जाने के आदेश नही है अभी ड्यूटी करो । मैं कोशिश कर रही थी बस थोङी देर और खङी रह पाऊं बस थोङी देर और ।  फिर हार कर  बोली -सर मै जा रही हूं मैं मर रही हूं आपके ड्यूटी की लगी है गैरहाजिर से एक दिन की तनख्वाह कम मिल जाएगी क्या फर्क पङता है मरूंगी तो नही । 

मैं रवाना हो गई घर पहुंच कर गर्म पानी पीया और जो मेरी बात सुनते है जिसके आगे में रो सकती हूं उनको फोन लगाया और बोली मेरी सरधा (तबीयत खराब है ) कोनी 

जीभर रोयी  । 

मैं मेरी शारीरिक तकलीफ के लिए कभी नही रोती  यूं भले ही एक कहानी पढ़ते-पढ़ते कई बार रो लूं 

मैं मर रही हूं ।

पता नही क्या हो गया अचानक ?

मेरे से बैठा भी नही जा रहा आंखे नही खुल रही।

  रोटी कैसे बनाऊं । 

मैं तो आ गई मगर अभी ड्यूटी चल रही है।

 सुबह 6बजे ड्यूटी पॉइन्ट पर पहुंचना है ।

वो बोले- सुबह ड्यूटी मत जाना अभी फोन करके बता दे तबीयत खराब है ड्यूटी नही आ सकती ।

खाने का ऑडर दे दो ।

मैं -  ड्यूटी तो लग चुकी है अब  कौन काटेगा मैं किसी के आगे ड्यूटी न करने की भीख नही मांगूगी। 

आपको कितनी बार कह चुकी हूं भीख मांगकर मेरे से नौकरी नही होती है ।

मैं हिम्मत, ईमानदारी और अपने दम पर नौकरी करना चाहती हूं।

नौकरी में 100 प्रतिशत देने का प्रयास करती  हूं ।

 केठा दिनगै तक ठीक हो जाऊं अबी क्यामी मना कर देऊं ड्यूटी खातर। 

 रोते हुए बारै गो खाणो कोनी मंगाऊ बारै  कोरोना है 


 वो बोले- थोङा आराम करके हॉस्पिटल चली जा  रोने से ठीक नही होगी दवाई से ठीक होगी ।

तू बीमार होती है कभी नही रोती आज रो रही है ।

मुझे पता है तेरे तकलीफ ज्यादा ही है।

मैं -दवाई मेडिकल से लायी हूं गोळी ली असर ई कोनी करी।

मैने फोन काट दिया कुछ देर बाद गोळी का नसा हुआ हिम्मत करके उठी चार रोटी बनाई।

 सब्जी काटी बना नही पाई हिम्मत  जवाब  दे चुकी थी ।चटनी बनाई और बाहर वाले रूम में आकर सो गई  । 

 थोङी देर बाद एक्टिंग क्लास से बेटा आ गया ।कपङे बदल हाथ- मुंह धोकर  बोला मम्मी ।

मैं उसकी बात सुने बिना ही बोली- बेटा चटनी-रोटी है खा ले दूध गर्म करके पी ले ।

मैने रोटी खा ली है मेरी सरधा कोनी मैं दवाई लेकर सोऊं

मैं बेटे से झूठ बोली कि रोटी खा ली ।झूठ नही बोलती तो वो मुझे बार-बार खाने को कहता और मेरे से बोला भी नही जा रहा था ।

बुखार उतर गई थी उसके बाद बुखार नही आई पर रात भर नींद नही आई पेट दुखता रहा शरीर ऐसे टूट रहा जैसे सौएक लठ मार कर सारे हाड तोङ दिये हो  । अस्थमा की मरीज होने के कारण सांस की तकलीफ से जीवन की अनगिनत राते बैठे-बैठे निकाली है और दिन भर फिर वही ड्यूटी व अन्य कार्य किया है (अस्थमा में सोने पर सांस की तकलीफ ज्यादा व बैठे रहने पर कम रहती है) ।मगर हिम्मत कभी नही हारी ।रात भर लगा ये सांस आया शायद अगला तो नही आयेगा  ।  फेफङे  फटे जा रहे थे  तीन -चार forecort 400 ले लिये उल्टी तकिये पर सिर रख कर घुटने पेट के चिपकाकर  सोयी  कहीं आराम नही मिला  5 बजे सोचा जीवङा सोये रहने से क्या होगा ड्यूटी तो जाना पङेगा  उठा नही जा रहा था पर हिम्मत करके उठी । रसोई में जाकर पीने के लिए पानी गर्म रखा और जीदोरा सा हुआ आंखो से दिखना बंद हो गया । जैसे- तैसे गैस बंद किया और स्लेब पकङकर बैठ गयी । दिमाग तो काम कर रहा था पर आंख नही खोल पा रही थी ना ही उठा जा रहा था ।करीब दस मिनट बाद बतख चाल से (पुलिस ट्रेनिंग में सजा के तौर पर चलाया जाता है मेंढक चाल ,मुर्गा चाल ,बतख चाल ) सरकते, सरकते चारपाई तक पहुंची गला सूखा जा रहा था चारपाई के पास पङी बोतल में पानी था रात का गर्म रखा हुआ  वो पीया व गला बोलने लायक हुआ मैने कम्पनी के CHM साहब  को फोन लगाया उन्होंने नही उठाया फिर GDC को फोन किया  उसे कहा मेरी तबीयत खराब है मैं ड्यूटी नहीं जा सकती  chmसाहब ने फोन नही उठाया तुम बता देना । GDC बोली दीदी एक बार ड्यूटी पॉइन्ट पर पहुंच जाओ वहां जाकर बैठ जाना । अब 6बज रहे है ऐन वक्त पर ड्यूटी कौन काटेगा   । मैं बोली ड्यूटी पर पहुंचना तो दूर मैं चारपाई से नही उठ पा रही हूं  गैरहाजिर लगती है तो लगने दो मैं नही जा सकती मैने फोन काट दिया । थोङी देर बाद GDC का फोन आया मैने कन्ट्रोल रूम बता दिया है तुम बीमार हो । 9बजे GDC का फिर फोन आया दीदी CHMसाहब कह रहे है हॉस्पिटल की पर्ची भेजो । 

मैं बोली -मैं मर रही हूं आपके पर्ची की लगी है उठा जायेगा तब हॉस्पिटल जाऊंगी  भेज दूंगी पर्ची  । रिकोर्ड में पर्ची चाहिए जवान भले ही मर जाए 'मरया ही पीताओगा के( भरोसा करोगे क्या )  पुलिस सिस्टम खराब है या पुलिस की नौकरी खराब ,मैं बङबङा रही थी और कब उधर से फोन काटा मुझे पता नही । 

बेटे को जबतक मैं नही उठाऊं वो उठता नही है ।

 बेटा जितेश उठ मुझे पानी गर्म करके लाकर दे गोळी लेऊगी सरधा कोनी ।

थोङी देर बाद फिर  ....जीत उठ रे 9 बजगया 

 जीत ओ जीत उठ रे।

जितेश आंख मसलता हुआ बोला-मम्मी जी 9 बजगया थे ड्यूटी कोनी गया सरधा कोनी के ।

हां बेटा ।

जितेश पानी लाया मैने दो गोळी फटाफट गटक ली ।

मम्मी जी दो मत लेओ खाली पेट खराब करसी । 

खराब तो करसी पर गोळी गै नसै स्यूं हॉस्पिटल जाईजै गो ।

जितेश चाय बनाकर लाया मुझे चाय में कोई स्वाद नही आया ।

बेटा अदरक कोनी गेरी चा में ,पाणी बरगी चा बणाई है ।

मम्मी जी अदरक गेरी ।

बेटा अदरक गी खूशबू तो छानी को रेवै। 

 सप्लाई हाळो पाणी चरको है पण आज मनै चरको तो कोनी लागयो। 

मनै लागै कोरोना होगयो ।

बेटा मेरो सिर कदैई कोनी दूखै  । रात गो सिर फूटे है । है तो शरीर में कोई नुई बला ।

मम्मी uber कार कर दूं ।

नही बेटा पेपर चालै भीङ है uber बाइक करदे ।बाइक भीङ में जल्दी निकल जाती है ।

SMS हॉस्पिटल धन्वन्तरि OPDमें दिखाया डॉक्टर लक्षण देखकर बोले आपके कोरोना के लक्षण है चरक भवन के पास कोरोना OPD है वहां दिखाओ। 

मैं पूछती- पूछती  आधे घंटे में कोरोना OPD पहुंची । फॉर्म लिया भरा  सेम्पल देने के लिए पर्ची कटवानी पङती है  वहां लम्बी लाइन थी लोग आपस में लङ रहे थे मैं पहले आया ,मैं पहले आया। कोई कोरोना का भय नही मास्क भी एक -दो के तो ठोडी पर । जल्दी सबको थी ज्यादा युवा लङके थे जो लाइन में बेवजह ही ही हु हु हा हा हा कर रहे थे । गार्ड भाई लाइन में लगने  को कह रहा था मगर कोई मानने को तैयार नही था । मै पुलिस की P.T ड्रैस में थी तो गार्ड भाई बोला दीदी आप समझाओ ना ये एक मीटर की दूरी से खङे रहे ।  बुढे-ठेरे थे जो मेरी तरह मुंह बा कर सांस ले रहे थे उनको आगे लगाया बाकी  युवा को पीछे। मेरी बात मान कर सब शान्ति से पर्ची कटवाते रहे । एक- दो अनपढ महिला व पुरूष फॉर्म  भरना नही जानते थे वो मेरे पास आऐ पता नही कौनसी बोली में बोले मुझे कुछ समझ नही आया पर इतना समझ गई की ये फोर्म भरने का कह रहे है । मेरे पास पैन नही था मेरा पैन किसी ने थोङी देर पहले ले लिया था ।कहा पैन लेकर आओ । एक व्यक्ति के पास पैन था उसने उनको पैन देने से इनकार कर दिया कि मेरे पैन के कोरोना लग जाऐ मैं नही देऊंगा। 

   मैने कहा भईया पैन देना  इनका फॉर्म भर दूं ।

फॉर्म नही भरा गया तो कब तक यहां खङे रहेगे ये बाहर से आऐ लगते हैं ठीक तरह से  इनकी बोली भी समझ नही आ रही हैं   व्यक्ति ने मुझे पैन दे दिया आधार कार्ड देखकर फॉर्म भरा  वो UPके थे ।

लाइन से थोङी दूर पत्थर पङा था उस पर जाकर बैठ गई  मेरी बारी का इंतजार करने लगी  ।   गोळी का असर उतर रहा था और शरीर चलने- फिरने को राजी नही था ।  एक-दो व्यक्ति बोले आप पहले पर्ची कटवा लो हम लङ रहे थे हम सबको लाइन में लगा दिया ।

नही मैं मेरा नम्बर आऐगा तभी कटवाऊगी    मुझे कोई जल्दी नही है । 

सेम्पल देकर  व दवाई लेकर  एक खुराक वहीं ली और एक दीवार के पास धूप में बैठ गई  । GDC के पास what's app पर दवाई की पर्ची भेजी।  

मन ही मन बङबङाई चाट लो पर्ची को । अब तो तसल्ली हो जाऐगी की मैं सच मैं बीमार हूं ।

कुछ देर बाद उठने की हिम्मत की पर हिम्मत जवाब दे रही थी । आधा घंटा बाद दवाई ने असर दिखाया हिम्मत कर  uber बाइक से घर आई ।

घर आते ही जितेश बोला मम्मीजी मेरा शरीर दुख रहा है लगता है बुखार होगी ।

अचानक क्या हो गया तेरे बेटा , लगता है मेरे कोरोना है मेरे वाला तेरे तक पहुंच गया  । मैने मेरी दवाई में से उसको दी और दोनो सो गए। 

रात के 10 बजे आंख खोली समय देखा ।

जितेश कैसे  है  बोला ठीक हूं । बेटा हिम्मत करके उठ पानी गर्म करके ला। बेटा पानी देकर वापिस सो गया । 

बेटा कुछ खाऐगा क्या ?

 नही मम्मी। 

दूसरे दिन सुबह 10बज गए मां बेटे दोनो में किसी में उठने की हिम्मत नही।

फिर भी हिम्मत करके चाय व खिचङी बनाई। 

 दोनो ने थोङी सी खिचङी खाई उल्टी आने जैसा मन हुआ छोङ दी। 

11बजे मोबाइल में msg आया कोरोना पॉजिटिव। 

जीत बेटा मेरी रिपोर्ट पॉजिटिव है फटाफट uber कर और हॉस्पिटल जा सेम्पल दे आ फिर लाइन लग जायेगी भीङ में परेशान हो जाऐगा। 

बेटे के चहरे से साफ पता चल रहा कि कोरोना पॉजिटिव सुनते ही डर गया ।

मम्मी जी मेरी भी पॉजिटिव आई तो ।

फिर क्या है ?

बेटा दोनो एकसे हो जायेगे

 कोई 'रीसरोसो ' कोनी रेवै। 

मम्मीजी 

रीसरोसो के हुवै। 

  तु यह नही कहेगा की क्यूं थारै कोरोना मेरै कोनी हुयो ।

दोनो जोरदार ठहाका मारकर हंसे।  बेटे के चेहरे पर डर की जगह हंसी ने ले ली थी।

खुद का सेम्पल देकर मेरी रिपोर्ट के साथ दवाई ले आया । मेरी रिपोर्ट ली तब काउन्टर वालो ने पूछा मरीज के सांस में तकलीफ है तो भर्ती हो जाओ । 

बेटा फोन पर मम्मी जी सांस में तकलीफ है क्या ?

झूठ बोली नही बेटा सांस ठीक है एकदम। 

मैने सोचा मैं भर्ती हो जाऊगी तो बेटा घर में अकेला उसकी भी तबीयत खराब है बेटे को अकेला नही छोङ सकती ।

मैं भर्ती हो जाऊंगी तो वो और डर जायेगा ।

 कोरोना पॉजिटिव के लिए डरना घातक है । 

मुझे दवाई समझाई कब कौनसी लेनी है मेरा भंयकर सिर दुख रहा था मैं झूठे ही हां ,हूं किये जा रही थी । बेटा समझ गया मम्मी का ध्यान दवाई समझने में नही है ।

एक गोळी का पत्ता  उठाकर पूछा बताओ मम्मी ये कब लेणी है । 

अब क्या बताऊ दिमाग में बैठी कोनी तो ।

मैने कहा ---- मेरो जी करै जदै लेणी है ।

दोनो फिर जोर से हंसे। 

जब बोलने की हिम्मत नही हो और जोरदार हंसी आ जाए तो शरीर में सकारात्मक ऊर्जा व ताकत की कंपकंपी सी उठती है ।

 दोनो ने सकारात्मक ऊर्जा का आनंद अनुभव किया ।


 दूसरे दिन बेटे की रिपोर्ट पॉजिटिव आयी। 

     बेटा दवाई बताये अनुसार ले रहा था और मैं जी करै हो वही ले रही थी ।

 20गोळी पैरासिटामोल दे दी तीन टाइम लेते रहो । मुझे बुखार था ही नही मैं क्यो लेऊ पैरासिटामोल गोळी मुझे बहुत खराब करती है । Hydroxychloroquine  की डिब्बी दी सुबह-शाम लेते रहो । मैने चार गोळी ली तब-तक मुझे महसूस हो चुका था की ये भी फायदा कम व नुकसान कर रही है ।  

गोळी से लगा मेरा सिर कलकते जा रहा है ।

जीभ भारी आवाज तुतली सी और खाली पेट फला-ढिकमा कचरा दिया वो कोई दवाई नही ली । 

दिन मे दो बार गिलोय काढा, दूध में अदरक, काली मिर्च, दालचीनी,लौग-इलायची,हल्दी डालकर पीया। गर्म पानी बार-बार पीया गला सुखता है खांसी व सांस की तो तकलीफ ज्यादा होती है । गला तर करते ही काफी आराम महसूस होता है ।

जब -जब सांस में तकलीफ हुई forecort 400लिया ।नाक से सांस बंद तो पतंजलि की  coronilkit के साथ आई दवाई नाक में डाली दो बार में नाक खुल गया तो लगा आधा कोरोना ठीक हो गया ।


 घर में मां-बेटा दो ही थे  दोनो गम्भीर बीमार तो कौन चाय-पानी दे। कभी बेटा कहता मम्मी जी हिम्मत करियो चाय बणाईयो। 

कभी मैं कहती  बेटा जीत हिम्मत कर पानी गर्म कर दे दवाई ले लू।


पानी देते हुए बेटा कहता  चुपचाप बताये अनुसार दवाई ले लो दवाई पर अब राजनीति मत करना ।


दोनो ठहाका मारकर हंसते है 


राजनीति तो करूगी दवाई खराब करती है तो।

मम्मी जी आपको क्या पता खराब करती है । 

बेटा मेरी दादी भी कहती थी, मेरी मां भी कहती है कोई दवाई लेने के बाद जीभ भारी पङे आवाज घेघी हो जाए तो समझना दवाई साइड इफेक्ट कर रही है ।


मैने पेट में कुछ खाया नही दो दिन से  ।दिन में तीन पैरासिटामोल व दो hydroxychloroquine लेऊंगी तो ,नही मरूगी तो भी मर जाऊंगी।

 जब कोरोना की दवाई है ही नही तो दवाई के नाम पर यह कचरा क्यों खाऊं। 

मम्मी जो डॉक्टर देगे वो खानी पङेगी मरने के भय से बचने के लिए। 

मरने का भय नही है बेटा .....बस ठीक होने की हिम्मत है ।

   मम्मी ज्यादा हिम्मत, हिम्मत मत करो  दो लाख लोग गये। 


मर रहे हो तो भी उठने का प्रयास करो सफलता मिलेगी यह कहकर मैं रसोई में गई तीन-चार दिन से गैस चूल्हे पर चाय,दूध उफन कर चितराम मंडे( बने) हुए थे वो साफ करने लगी।

बेटे ने आवाज लगाई मम्मी क्या कर रहे हो   पङ्यो कोनी रेईजै के ।

चूल्हे पर मंडेङा चितराम लुगाई जात ने फूटी आंख कोनी सुवावै। 

मम्मी जी चितराम के हुवै। 

 आकर देख ले ।

जब कम्पनी में पता चला कोरोना पॉजिटिव का तो साथ वाली लङकियो ने कहा जब जो जरूरत हो बता देना हम आ जायेगे तुम यह मत सोचना कोरोना है तो हम आ नही सकते । सुबह-शाम खाना पहुंचाने की जिद्द की    । मदद के लिए अनेक हाथ उठे। 

 मैं किसी को परेशान नही करना चाहती थी पांच दिन तो कुछ खाया नही खाने की इच्छा भी नही हुयी।


कोरोना दूर था मै बहुत सावधानी रखती कोरोना से मौत सुनकर कभी -कभी डर भी लगता ।

मगर जब कोरोना शरीर में प्रवेश कर गया तो बेटे से कहा - बेटा अपने शरीर से कोरोना दूर था बहुत डर लिये ।

अब कोरोना अपने भीतर है अब डरना नही सिर्फ कोरोना से लङना है जीतना है हिम्मत रखनी है ।  

एक बार भी मन में नही आया कि कोरोना से मर जाऊंगी ।

तकलीफ बहुत हुई शरीर में इतनी कमजोरी एक मिनट खङा रहना मुश्किल चलना तो दूर की बात। पेशाब के लिए दो दिन तो दीवार का सहारा लिया । दो - तीन बार फोन आए BHMO से बोल रहे हैं आपका एड्रेस क्या है । एड्रेस फॉर्म में लिखा था दो बार बता दिया वही है । 

मैं बङबङाई  म्हारी बोलणगी सरधा कोनी बारी-बारी फोन करगे दुख देवै। 

 मरीज सूं कोई लेणो-देणो कोनी मरै या जियै। 

बस रिकोर्ड में घर गो पतो सही होणो चाईजै। 

एड्रेस गो आचार घाललयो ।

बेटा बोला -मम्मी जी गोळीयो का नसा ज्यादा है क्या?

 दिमाग सटक गया क्या ?

बेमतलब बङबङा रहे हो बेचारे एड्रेस ही तो पूछ रहे है वो भी गाइडलाइंस के अनुसार अपनी नौकरी कर रहे है ।

  बङबङाऊ मेरै सूं बोलीजै कोनी ।

घङी -घङी में फोन आवै। 

बोई एड्रेस खातर मरीज गो हाल-चाल तो पूछै कोनी ।

 8 दिन हो गये अब काफी ठीक हूं 

योगाभ्यास भी करती हूं।

  संगीत सुनती हूं ।


बस थोङी सी जिद्द जिंदा रखिये ठीक होने की .....जिंदा रहोगे ।


✍🏻 बंशी यथार्थ RAC

0/Post a Comment/Comments

Hot Widget