वर्ष 2020 में वैश्विक संकटकाल के मध्य थार में सुकाल की मुस्कान।

 वर्ष 2020 में वैश्विक संकटकाल के मध्य थार में सुकाल की मुस्कान।

वर्ष 2020 में वैश्विक संकटकाल के मध्य थार में सुकाल की मुस्कान।

वर्ष 2020 में वैश्विक संकटकाल के मध्य थार में सुकाल की मुस्कान।



पारम्परिक बिश्नोई वेशभूषा, दोनों हाथ में मतीरा (तरबुज); मुंह पर मुस्कान और पीछे अपने से ऊंचे लहलहाते हरिल तील! वैश्विक विपदा COVID19 व चटोरी टिड्डियों के आंतक के मध्य सुकून देती छीब. आफत का साल 2020 विकराल हो मनमुख मानव के दानव रूप को कुचलता हुआ धीरे-धीरे ढ़लने को है. वर्षभर विपदा के बादल मंडराता 2020 जाते-जाते कुछ अच्छी यादें भी छोड़े जा रहा हैं. थार का मरुस्थल जहां सदा बरसात का इंतजार करते-करते कृषक का चौमासा अनाज उपज बिना ही निकल जाता है वहीं इस वर्ष इन्द्र की अनन्त कृपा यहां के बाशिन्दो पर रही. ग्वार, ज्वार, मोठ, मतीरा, काचर, फळी, बाजरी, तील के हरियल पान्नों से खिलखिलाता थार जैविक अनाज से लदालद अजब-गजब दिखे हैं. अपने खेत में मीठे मतीरों के मध्य मुस्काराती हिम्ताणी नार का यह चितराम समुचे मरुधरा में सुकाल को चित्रित कर रहा है. 


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