खेजड़ली के 363 महाबलिदानियों को यज्ञ के माध्यम से श्रद्धांजलि अर्पित करेंगे बिश्नोई धर्म के अनुयायी | ABBYS | Bishnoism.org


363 महाबलिदानियों को यज्ञ के माध्यम से श्रद्धांजलि अर्पित करेंगे बिश्नोई धर्म के अनुयायी ।

363 महाबलिदानियों को यज्ञ के माध्यम से श्रद्धांजलि अर्पित करेंगे बिश्नोई धर्म के अनुयायी | ABBYS | Bishnoism.org

363 महाबलिदानियों को यज्ञ के माध्यम से श्रद्धांजलि अर्पित करेंगे बिश्नोई धर्म के अनुयायी | ABBYS | Bishnoism.org



 अखिल भारतीय बिश्नोई युवा संगठन के तत्वाधान में हर वर्ष की भांति 21 सितंबर को बिश्नोई धर्म नियमों के लिए अपने प्राणों का बलिदान देने वाले बलिदानियों की याद में यज्ञ का आयोजन किया जाएगा ।  हर वर्ष  बलिदानों की याद में श्रद्धांजलि  उपवास  कार्यक्रम का आयोजन किया जाता है । 

 ध्यान रहे कि इस बार कॉविड महामारी के कारण सामान्य स्थान पर अधिक संख्या में लोग इकट्ठे न हो  ऐसा प्रशासन से की तरफ से अनुरोध किया जा रहा है  इसलिए  इस बार यह कार्यक्रम स्थानीय मंदिरों में सरकार के कोविड दिशानिर्देशों के अनुसार यज्ञ के माध्यम से श्रद्धांजलि स्वरूप मनाया  जाएगा।

 हमें याद रखना चाहिए कि धर्म की गौरव गाथा धर्म के नियमों पर बलिदान  होने वाले बलिदानियों के द्वारा लिखी जाती है और धर्म का इतिहास लिखने वाले इतिहासकारों की प्रमाणिकता की कलम से उसे अमर करती हैं ।


विश्व में जिन धर्मों के साथ इतिहासकार नहीं जुड़े उन्हे अपनो की कहानी पुनः बयान करना है । बिश्नोई धर्म के नियमों के प्रति  हमारे बुजुर्ग बिश्नोई  बंधुओं की कर्तव्य परायणता की  पराकाष्ठा क्या रही होगी की उन्होंने अपनी जान तक उन पर निछावर कर दी।


यह मात्र व्यक्ति के अपने कल्पना के विवेक पर निर्भर करता है कि वह इस महा बलिदान के परिदृश्य को अपने किस नजरिए से दिमाग की समंरण शक्ति में डालता है कि वह उसको धर्म के प्रति कृतसंकल्प रहने के लिए कौंधे । 



हमारा धर्म हमें अपने कर्तव्य परायणता के लिए उद्वेलित करता है कि हमें उन बुजुर्गों को इतिहास के पन्नों में वह स्थान दोबारा दिलाना है जिसके लिए उस समय के इतिहासकारों ने प्रयास नहीं किए । अब इतिहास की परिस्थितियों पर चिंतन करने से इतिहास नहीं लिखा जाएगा, अब उनकी स्मृति को पुनः इस प्रकार से रखा जाए कि उसकी पहचान से हमारी  व हमारे धर्म की पहचान हो। 


अपने दिल-ओ-दिमाग में उस महा बलिदान की घटना को पुनः समृति के लिए हम सबको मिलकर, निजी कुंठा, प्रतिद्वंद्विता,  चाहे वह सामाजिक हो या राजनीतिक से ऊपर उठकर धर्म के प्रति अपने दायित्वों को निभाना है।


खेजड़ली के 363 बलिदानियों सहित धर्म के नियम की रक्षा करने वाले सभी शहीदों को नमन् हेतु इतिहास में 1 दिन मुकर्रर करने का अभी समय आया है ।आओ मिलकर जहां भी हम 21 सितम्बर को इस आयोजन में सम्मिलित हो उन वीरों को श्रद्धांजलि दें और निश्चित कार्यक्रम में शामिल हो ।


निवेदन

राजीव गोदारा

 अखिल भारतीय भारतीय बिश्ननोई युवा ।

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