प्रेरक कहानी - व्याख्याता भर्ती 2018 में पति पत्नी एक साथ बने व्याख्याता, परिवार में खुशी की लहर

 प्रेरक कहानी - व्याख्याता भर्ती 2018 में पति पत्नी एक साथ बने व्याख्याता, परिवार में खुशी की लहर

व्याख्याता भर्ती 2018 : पति पत्नी एक साथ बने व्याख्याता, परिवार में खुशी की लहर


बिश्नोई न्यूज़ डेस्क, बीकानेर। व्याख्याता भर्ती 2018 के भूगोल व हिंदी विषय के परिणाम हाल ही में जारी हुए। जारी हुए परिणामों में इस बार बिश्नोई युवाओं ने परचम लहराया। प्रत्येक विषय के परिणामों में 10 से अधिक ही बिश्नोई व्याख्याता चयनित हुए हैं। वहीं भूगोल विषय में टॉप 10 में शीर्ष के 7 में बिश्नोई युवाओं ने जगह बनाई। 

आज हम आपको संघर्ष से सफलता की प्रेरक कहानी बताने जा रहे हैं। संघर्ष की कठिन राह पर चलकर एक दूजे के हमराही हापूराम बाना और पूर्णा मांजू व्याख्याता भर्ती 2018 में भूगोल व हिन्दी विषय से व्याख्याता चयनित हुए हैं।

जालोर जिले के भीनमाल तहसील के निकटवर्ती ग्राम पूनासा निवासी एक ही परिवार के दो अभ्यर्थी भूगोल एवं हिंदी विषय में व्याख्याता पद पर चयनित हुए हैं। पूनासा निवासी हापूराम बाना का भूगोल विषय से सम्पूर्ण राजस्थान में 37 वीं रैंक से चयन हुआ है वहीं हापूराम की जीवनसंगिनी पूर्णा मांजू हिंदी विषय में 89 रैंक से सफलता हासिल की है । 

हापूराम के पिता श्री धीमाराम बाना किसान हैं। फिर भी अपने बच्चों को पढ़ाकर काबिज बनाया। हापूराम बाना के बड़े भाई रामकिशन व.‌ अध्यापक है। रामकिशन ने इन्हें पढ़ाई में हरसंभव सहयोग दिया । 

पूर्णा मांजू के भाई पूनासा निवासी पुखराज मांजू पुत्र स्व.श्री भागीरथराम व्यवसायी ने अपनी पांच बहनों को पढ़ाकर सफलता प्राप्त करने तक सहायता की।

 हापूराम बाना और पूर्णा मांजू ने उच्च शिक्षा जयपुर और जोधपुर रहकर पूरी की 

हापूराम बाना भूगोल विषय से स्नाकोत्तर हैं वहीं इन्होंने 2 बार NTA द्वारा आयोजित महाविद्यालय में पढ़ाने की अर्हता NET क्वालीफाई किया है।

पूर्णा मांजू हिन्दी विषय में स्नातकोत्तर है वहीं 3 बार NTA द्वारा आयोजित महाविद्यालय में पढ़ाने की अर्हता NET क्वालीफाई किया है। पूर्णा मांजू राजस्थान पुलिस द्वारा आयोजित सब-इंस्पेकटर (SI) परीक्षा 2016 में चयनित हुई। 

जब हमनें इनकी सफलता का राज‌ पुछा तो हापूराम बाना और पूर्णा मांजू ने कहा कि मेहनत के दम पर किसी भी क्षेत्र में सफलता संभव है। 

हापूराम बाना और पूर्णा मांजू ने अपनी सफलता का श्रेय भगवान, अपने माता-पिता, दोनों ही परिवार के सभी सदस्यों व उत्कर्ष संस्थान और अपने गुरुजनों दिया है। 



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